बहुजन समाज पार्टी के मतों के बंटवारे पर टिकी सबकी नजर
राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं और आम जनमानस की चचार्ओं में बदलाव की झलक
(ब्यूरो रिपोर्ट)
लोकसभा चुनाव जालौन : जालौन-गरौठा-भोगनीपुर संसदीय क्षेत्र के लिए होने वाले मतदान के बाद जिस तरह से विभिन्न राजनीतिक दलों की हार जीत को लेकर अटकलो का बाजार गर्म है उसको देखते हुए यह कहना लाजमी ही होगा कि इस बार के चुनाव के परिणाम काफी कुछ हद तक अप्रत्याशित ही देखने को मिल सकते हैं। फिलहाल भारतीय जनता पार्टी सहित अन्य राजनीतिक दलों के केंद्रीय कायार्लय के मौजूदा हालात पर नजर डालें तो कहीं छुटपुट हलचल तो कहीं सन्नाटा पसरा हुआ है आम मतदाता भी जहां एक और अब परिणाम की प्रतीक्षा में है तो वही आम जनमानस के बीच से आ रही सुगबुगवाहट बदलाव के स्पष्ट रूप से संकेत दे रही है।
लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के भानु प्रताप वर्मा वैसे तो पांच बार इस सीट से लोकसभा के लिए चुनकर प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और इस बार वह छठवीं बार लोकसभा मैं प्रतिनिधित्व करने के लिए मैदान में हैं। 2014 और 2019 में सफलता प्राप्त करने के बाद यदि उन्हें जीत का मौका मिलता है तो यह उनकी हैट्रिक होगी तो वही इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी नारायण दास अहिरवार के लिए यह लोकसभा पहुंचने का पहला मौका होगा। हालांकि इससे पूर्व प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री के तौर पर अपने दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। बात बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी की करें तो लोकसभा चुनाव की इस लड़ाई में सुरेश चंद्र गौतम को प्रत्याशी के तौर पर उतारकर उन्हें पार्टी ने लोकसभा तक पहुंचाने की पहल की है। सेवानिवृत्ति विद्युत अभियंता सुरेश चंद्र गौतम का राजनीतिक क्षेत्र से जुड़ाव तो रहा है लेकिन यह उनके लिए भी लोकसभा में पहुंचने का पहला ही मौका होगा फिलहाल मतदान के बाद जिस तरह से हार और जीत को लेकर आम जनमानस के बीच चचार्एं व्याप्त हैं उनको देखते हुए अभी तक यही कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्य मुकाबले में भारतीय जनता पार्टी और इंडिया गठबंधन ही दिखाई दे रहा है यहां यह बात भी आम जनमानस में सुनी जा रही है कि इस बार लोगों में बदलाव की चाह है और यदि मतदाताओं ने इस तरह के रुझान दिए हैं तो इसका लाभ इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी को पूरा-पूरा मिलने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। कुल मिलाकर परिणाम अप्रत्याशी होने की स्थितियां बनती जा रही हैं इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है।
जीत और हार के दरमियान मामूली रह सकता मतों का अंतर
बीते कुछ चुनावों के दौरान जिस तरह से हारने और जीतने वाले प्रत्याशी के मतों के अंतर में एक बड़ा फैसला देखने को मिला है वह इस बार की तस्वीर में बदला हुआ दिखाई देगा इस बात की भी चचार्एं जनमानस में व्याप्त हैं लोगों का कहना है कि इस बार के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के बीच कड़ा मुकाबला हो सकता है और हार जीत के बीच के मतों का अंतर पर भी लोगों की यही राय सामने आ रही है कि यह अंतर भी बहुत अधिक नहीं होगा मतलब साफ है कि मुख्य मुकाबले में आने वाले प्रत्याशियों में किसको जीत और किसको हार का सामना करना पड़े यह दीगर बात है पर नतीजा मामूली से मतों पर ही टिके होने की संभावनाएं अधिक है । अब ऐसे में यह तो स्पष्ट होने लगा है कि यहां की लड़ाई में मामला बड़ा ही रोमांचकारी हो सकता है।
