रिपोर्ट बबलू सेंगर

मुस्कान, प्रगति के बाद सना: ऐसे किया पति की जान लेने का प्रयास,,,,,कलियुगी पत्नी द्वारा की गई घटना से जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा पति,,देखिये पूरी खबर
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Jalaun news today । जालौन में रमजान के आखिरी अशरे में आने वाली खास रात शब-ए-कद्र की बरकतों और फजीलत पर गुरुवार रात मरकज जामा मस्जिद में जलसे का आयोजन किया गया। इस मौके पर कुरान की तिलावत, नात और तकरीरें पेश की गईं, जिसमें उलेमाओं ने शब-ए-कद्र की अहमियत और इसकी इबादत के फायदों के बारे में बताया।
जलसे की शुरुआत कारी अशरफ ने पवित्र कुरान की तिलावत से की, जिससे माहौल पूरी तरह से रूहानी हो गया। मुफ्ती तारिक जमील ने हम्द और सना पेश की। उन्होंने पढ़ा, नूरे मोहम्मद जब चमका, सल्ले अला का शोर हुआ, जर्रा-जर्रा कहने लगा, ला इलाहा इल्लल्लाह। इस हम्द को सुनकर पूरे जलसे में सुकून और श्रद्धा का माहौल बन गया। उन्होंने एक और शेर पढ़ा, दिल में खौफे खुदा हो मोजजन, फिर इबादत में कितना मजा आएगा। इसके बाद मौलाना न्यामत उल्ला ने शब-ए-कद्र की फजीलत पर रोशनी डालते हुए कहा कि यह रात हजार महीनों से बेहतर है। इस रात में फरिश्ते जमीन पर उतरते हैं और अल्लाह की इबादत करने वालों की दुआओं को कबूल किया जाता है। उन्होंने कहा कि जो इंसान इस रात को इबादत में बिताता है, उसके पिछले सभी गुनाह माफ हो जाते हैं। कहा कि शब-ए-कद्र को रहमत, मगफिरत और निजात की रात कहा गया है। इस रात की खास इबादतों में नवाफिल नमाज पढ़ना, कुरान की तिलावत करना, तस्बीह-ओ-तहलील करना और दुआएं मांगना शामिल है। जलसे के आखिर में मौलाना सुल्तान ने देश और दुनिया में अमन, भाईचारे और खुशहाली की दुआ कराई। उन्होंने कहा कि आज के दौर में इंसान को सबसे ज्यादा सबर और इखलास की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि रमजान सिर्फ भूखा-प्यासा रहने का नाम नहीं है, बल्कि इसमें अपनी रूहानी ताजगी हासिल करने और अपने गुनाहों से तौबा करने का मौका मिलता है। इस दौरान मौजूद लोगों ने अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी और दुनिया-आखिरत की बेहतरी की दुआ मांगी। इस मौके पर जामा मस्जिद के इमाम मौलाना उवैश, हाफिज कलीमुल्लाह, तारिक, इकबाल, कासिम, हाशिम, शाहिद, हाजी नफीस, इसरार, अकील अहमद, जियाउल हक, जावेद आदि मौजूद रहे।