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प्राण प्रतिष्ठा को लेकर राममंदिर आंदोलन में भाग लेने वाले कारसेवक व उनके परिजन हैं खुश व भावुक

Karsevaks and their families who participated in the Ram Mandir movement regarding life prestige

(रिपोर्ट – बबलू सेंगर)

Jalaun news today । अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से लोग खुश हैं। लोगों का कहना है कि अब लग रहा है रामराज्य आने वाला है। अयोध्या में कारसेवा में भाग लेने वाले कारसेवक और उनके परिजन राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा से वह खुश भी हैं और भावुक भी। श्रीरामजन्म भूमि आंदोलन के दौरान अयोध्या जा रहे एक महिला मोहिनी बहिनजी, अनिल शिवहरे, अशोक शिवहरे, आदित्यभूषण तिवारी, सर्वेश माहेश्वरी, महेंद्र पाटकार, बंटी भसीन, रामराजा निरंजन, गोविंदशरण मिश्रा, लालन ताम्रकार, स्वर्गीय प्रसाद तिवारी, स्वर्गीय आनंद भगवान द्विवेदी, स्वर्गीय राधेश्याम योगी, स्वर्गीय रमेश राठौर 45 कारसेवकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और उन्हें अयोध्या नहीं जाने दिया गया।


कारसेवा में भाग लेने वाले नगर के मोहल्ला मुरली मनोहर निवासी साधु अम्बिकानंद शिवहरे उर्फ अंबिका प्रसाद बताते विश्व हिंदू परिषद के आवाहन पर पूरे देश के कारसेवक अयोध्या में राम मंदिर के लिए कारसेवा के लिए पहुंचे थे। अयोध्या पहुंचकर कारसेवकों ने मंदिरों और आश्रम में अपना ठिकाना बनाया था। पुलिस का कड़ा बंदोबस्त था। जब कारसेवक बाबरी मस्जिद तक पहुंचे तभी पुलिस की गोली चलनी शुरू हो गई। वहां की भूमि कारसेवकों के रक्त से सराबोर हो उठी। वह किसी तरह वह गोलियों से तो बच गए लेकिन एक टीस बराबर मन में बनी रही। अब अयोध्या में रामलला के मंदिर का सपना साकार हुआ है तो मन में खुशी है।


कारसेवा में भाग लेने के लिए अयोध्या गए दिवंगत रामजी मिश्रा के ज्येष्ठ पुत्र वाचस्पति मिश्रा बताते हैं कि पिता का सपना था कि श्रीराम जन्म भूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण हो। इसलिए जब कारसेवा का बुलावा आया तो वह घर से अयोध्या के लिए निकल गए। उस समय जब कारसेवकों पर गोली चलने की सूचना मिली तो घर के लोग परेशान थे। लेकिन कर भी क्या सकते थे। संपर्क का कोई जरिया नहीं था। वहां से लगभग एक माह बाद जब वह वापस लौटे तो उनके अनुभव सुनकर रोंगटे खड़े हो गए। पिताजी ने उस गोलीकांड की तुलना जलियावाला बाग से की थी। कहते थे उस समय वहां हर ओर तबाही का मंजर था। शहीद कारसेवकों के शरीर जमीन पर पड़े थे। अब जब अयोध्या में राममंदिर बनकर तैयार है तो पिता को निश्चित ही गर्व हो रहा होगा और उन्हें शांति मिली होगी।

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