भारतीय संविधान दुनिया का सबसे श्रेष्ठ संविधान: इं•भीमराज
Lucknow news today । भारतीय संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहब डा• भीमराव अंबेडकर का 133वां जन्म जयंती समारोह के अवसर पर “बाबा साहब डा•अम्बेडकर एवं भारत का संविधान” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। ऑफीसर्स कालोनी गंगा सिंचाईपुरम तेलीबाग में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में इंजीनियर भीमराज शामिल हुए।
उन्होंने अपने वक्तत्व में संविधान पर विचार रखते हुए बताया कि डा• अंबेडकर भारत के संविधान के प्रारूप को तैयार करने के लिए बनाई गई समिति के सभापति थे और उनके शब्दों में किसी देश का संविधान एक मूल दस्तावेज होता है। जिसमें राज्य के तीनों अंगों कार्यपालिका, न्यायपालिका तथा विधायिका की स्पष्ट रूप से शक्तियों तथा अधिकार का उल्लेख रहता है। यही नहीं वह नागरिकों और कार्यपालिका व विधायिका के आपसी संबंधों और अधिकारों को भी परिभाषित करता है। जैसा कि हमारे संविधान में “मूल” अधिकारों के अध्याय में किया गया है। वास्तव में संविधान का उद्देश्य केवल राज्य के अंगों को निर्मित करना ही नहीं होता वरन् उनके अधिकारों को सीमित करना भी एक उद्देश्य होता है। यदि विधायिका को कोई भी विधायन बनाने की पूरी छूट हो, कार्यपालिका को कोई निर्देश और आदेश देने की छूट हो तो एक अराजकता का वातावरण उत्पन्न हो जाने की संभावना हो जाएगी। इसलिए यह आवश्यक है कि शासन के तीनों अंगों के आपसी संबंधों को ही नहीं, बल्कि नागरिक और शासन के बीच अधिकारों को संविधान द्वारा स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाये।
डा• अंबेडकर के ही शब्दों में भारत के संविधान को केवल एक राजनीतिक को विधिक दस्तावेज के रूप में ही परिकल्पित नहीं किया गया वरन् उसके द्वारा सामाजिक क्रांति तथा जन कल्याण व राष्ट्र के उत्थान के ध्येय को भी पूरा करने का माध्यम माना गया है। कार्यक्रम के मुख्य आयोजक इंजीनियर हरेंद्र कुमार रहे। कार्यक्रम में काफी संख्या में बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों की उपस्थिति रही।