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शनिधाम में चल रही भागवत कथा में शनि महाराज की सुनाई गई कथा,,

Story of Shani Maharaj narrated in Bhagwat Katha going on in Shanidham,

(रिपोर्ट – बबलू सेंगर)

Jalaun news today । श्रीशनि धाम गूढा मे स्थापित शनि मंदिर की स्थापना के तीसरे वर्ष पर महंत बृजेश महाराज एवं शनि भक्तो द्वारा नवकुंडात्मक रूद्र महायज्ञ, शनि हवनानुष्ठान एवं भागवत कथा का आयोजन कराया जा रहा है।
कार्यक्रम में कथा व्यास आचार्या शुभम साध्वी ने कहा कि छाया के गर्भ से शनिदेव का जन्म हुआ। शनि के श्याम वर्ण (काले रंग) को देखकर सूर्य ने अपनी पत्नी छाया पर यह आरोप लगाया कि शनि मेरा पुत्र नहीं है तभी से शनि अपने पिता सूर्य से शत्रुता रखते हैं। शनिदेव ने अनेक वर्षों तक भूखे-प्यासे रहकर शिव आराधना की तथा घोर तपस्या से अपनी देह को दग्ध कर लिया था, तब शनिदेव की भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने शनिदेव से वरदान मांगने को कहा। शनिदेव ने प्रार्थना की कि युगों-युगों से मेरी मां छाया की पराजय होती रही है, उसे मेरे पिता सूर्य द्वारा बहुत अपमानित व प्रताड़ित किया गया है इसलिए मेरी माता की इच्छा है कि वह अपने पिता से भी ज्यादा शक्तिशाली व पूज्य बने। तब भगवान शिवजी ने उन्हें वरदान देते हुए कहा कि नवग्रहों में तुम्हारा स्थान सर्वश्रेष्ठ रहेगा। तुम पृथ्वीलोक के न्यायाधीश व दंडाधिकारी रहोगे। भगवान शंकर की कृपा शनिदेव को न्याय व दंड का अधिकारी बनाया गया। उन्हें वक्र दृष्टि प्रदान की गई। जिससे वह सुकर्म और कुकर्मों का पता लगाकर न्याय अथवा दंड दे सकें। श्रीश्री 1008 जमुनादास के संरक्षण में चल रहे नवकुंडीय रूद्र महायज्ञ के दूसरे दिन यज्ञाचार्य मिथलेश महाराज ने लोक कल्याण की भावना से सुख शान्ति एवं समृद्धि के लिए अग्नि देव को आहुतियां प्रदान की। इस मौके पर भूपेश बाथम, प्रमलेश, विद्या भास्कर, रामराजा, सुधा, छुन्ना, प्रभा, शिवनाथ, सुरभान, रामकुमार, सुमन आदि मौजूद रहे।

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