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यूपी कारागार विभाग : आधुनिक उपकरणों की खरीद में हो रहा बड़ा गोलमाल

UP Prison Department: Lakhs of rupees are being wasted in purchasing modern equipment

बगैर डिमांड के जेलों पर भेज दिए गए उपकरण व अन्य सामान

(राकेश यादव)

Lucknow news today । प्रदेश की जेलें आधुनिक तो नहीं हो पाई लेकिन मुख्यालय के अधिकारी और बाबू जरूर मालामाल हो गए हैं। पढ़ने और सुनने में यह बात अटपटी जरूर लग सकती है किंतु मुख्यालय से हुई आधुनिक उपकरणों की खरीद फरोख्त के दस्तावेजों की पड़ताल की जाए तो यह सच सामने आ जाएगा। मोटे कमीशन की वजह से आधुनिक उपकरणों की खरीद नजारत के बजाए आधुनिकीकरण अनुभाग से कराई जा रही है। आलम यह है जेलों से बगैर पूछे वह सामान भेज दिए गए जो उपकरण पहले से बिना इस्तेमाल के ही जेल पर रखे हुए थे। जेलों में लाखों की लागत से खरीदे गए यह उपकरण गोदामों में धूल खा रहे है।

विभागीय जानकारों के मुताबिक पूर्व में जेलों में सामानों की आपूर्ति नज़ारत अनुभाग से कराई जाती रही। इसके लिए जेलों से डिमांड मांगी जाती है। इसके बाद मांग के अनुसार सामान की आपूर्ति जेलों को की जाती थी। सूत्रों का कहना है कि करीब आठ साल पूर्व विभागीय अधिकारियों ने आला अफसरों से साठ गांठ करके आधुनिक उपकरण मसलन टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, आटा गूथने की मशीन,कंप्यूटर, सीसीटीवी, वाकी टाकी, आरओ प्लांट खरीद कर लगाने की जिम्मेदारी नजारत से हटवाकर आधुनिकीकरण अनुभाग से करा ली।

वर्तमान समय में कारागार मुख्यालय का आधुनिकीकरण अनुभाग मोटे कमीशन की खातिर अनाप शनाप दामों पर उपकरणों की खरीद फरोख्त करके जेलों में आपूर्ति करने में जुटा हुआ है। जेलों से मिली जानकारी के मुताबिक जेल में पहले से गेहूं चालने वाला छन्नना, भगोने, आटा गूथने की मशीन, वाशिंग मशीन सरीखे कई सामान जो पहले से मौजूद थे उन्हे बगैर डिमांड के ही भेज दिया गया है। इनको रखने की जेल में जगह तक नहीं है। यही नहीं कई जेलों लगे उपकरण काफी लंबे समय से खराब भी पड़े हुए हैं। इनके मेंटीनेंस का कोई पुरसाहाल नहीं है। जेल अफसरों की माने तो उपकरणों के मेंटीनेंस के लिए अलग से कोई धनराशि आवंटित नहीं की जाती है। इससे इन महंगे उपकरणों ठीक करा पाना संभव नहीं हो पाता है।

ठेकेदारों से सेटिंग गेटिंग कर होती खरीद फरोख्त

जेल मुख्यालय के बाबुओं और ठेकेदारों के बीच सेटिंग गेटिंग से आधुनिक उपकरणों की खरीद में लाखों का गोलमाल किया जा रहा है। बताया गया है कि उपकरणों की खरीद जैम पोर्टल के माध्यम से की जाती है। टेंडर से पूर्व बाबुओं और ठेकेदारों के बीच उपकरणों के दामों की सेटिंग हो जाती है। बाबू जिस ठेकेदार को चाहते है उसी को काम मिलता है। इसके एवज में वह ठेकेदार से मोटी रकम वसूल करते हैं।

जांच में दोषी पाए जाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा: डीजी जेल

जेलों में बगैर डिमांड के दैनिक उपयोग की वस्तुएं और उपकरण भेजे जाने के संबंध में जब आधुनिकीकरण अनुभाग के प्रभारी एवं डीआईजी मुख्यालय अरविंद कुमार सिंह से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने व्यस्त होने की बात कहकर बात करने से इंकार कर दिया। उधर डीजी पुलिस/आईजी जेल एसएन साबत ने कहा कि फिलहाल ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं है। उन्होंने यह जरूर कहा कि खरीदे जाने वाले उपकरण व सामान के लिए उन्होंने स्टॉक रजिस्टर के अलावा एक अन्य रजिस्टर भी बनवाया है। यदि ऐसा हो रहा है तो इसकी जांच कराई जाएगी। जांच में दोषी पाए जाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

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