आपातकाल के मुखौटा से सतर्क रहें – सुरेश खन्ना

E-Magzine Uttampukarnews June 2025 – उत्तम पुकार न्यूज़

Lucknow news today। 25 जून 1975 को अपनी सत्ता और कुर्सी सदा सर्वदा बनाए रखने की नियत से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने देश में आपातकाल घोषित कर देश के बुद्धिजीवियों तथा अपने विरोधी राजनेताओ को मीसा- डी०आई०आर० जैसे काले कानूनों के अंतर्गत कारागारो में बंद कर दिया| आपातकाल की 50व़ी बरसी पर प्रदेश भर के लोकतंत्र रक्षक आज प्रतिवर्ष की भातिं प्रेस क्लब लखनऊ में एकत्र हुए और दीप जलाकर एवं आपातकाल के विरुद्ध अपना विरोध दर्ज कराया|
उत्तर प्रदेश सरकार के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लोकतंत्र सेनानियों के परिवारों की चिकित्सा सुविधा बढ़ाने का स्वागत करते हुए कहा कि आज जरूरत है उन सभी चेहरों का खुलासा करने की जो लोग आपातकाल स्थिति देश में पैदा किया। जिसे काला दिवस में आज भी मनाया जा रहा है। इसका खुलासा होना चाहिए। क्योंकि वह लोग आज लाल किताब दिखाकर जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं। इसका खुलासा हम सभी को अपने स्तर से करने की जरूरत है।
समिति के प्रदेश अध्यक्ष ब्रज किशोर मिश्र ने कहा कि 25 जून 1975 को आज़ाद भारत एक बार फिर आंतरिक गुलामी की बेडियों में जकड़ गया था| आपातकाल के कालखंड को याद करते हुए उन्होंने कहा तानाशाही सरकार ने “न अपील, न वकील, न दलील” के सिद्धांत पर आपातकाल का विरोध करने वाले समस्त राजनेताओ, विद्याथियो को जेल की काल कोठरियों में डाल दिया गया था, और अनेकों प्रकार की अमानवीय यातनाए देकर आन्दोलन को कमजोर करने का प्रयास किया, उन्होंने कहा कि जनता के मौलिक अधिकारों पर कुठाराघात कर तत्कालीन तानाशाह ने आचार्य विनोवा भावे तक को अपमानित किया था किन्तु 7 तालों के भीतर कुम्भकरणी नींद सोयी सरकार कों उखाड़ फेकने की कसम खा चुके लोकतंत्र रक्षक “हटे नहीं, डिगे नहीं, डटे रहे”| लोकशक्ति और तानाशाह के मध्य हुए इस जबरदस्त संघर्ष में अलोकतांत्रिक शक्तियों को धूल धूसरित करते हुए लोकतंत्र पुनः बहाल हुआ|

यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री सुरेश खन्ना ने कहा कि स्वंत्रत भारत में आपातकाल जैसे हालात बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है| आपातकाल बुनियादी तौर पर फांसीवादी मानसिकता की देन है| अहिंसक आन्दोलन कर जेल जाने वाले लोगों को रात-रात भर बर्फ की सिल्लियों से बाँध कर लिटाना, नाखूनों में कील ठोकना, पंखो से उल्टा लटकाने जैसी ना जाने कितनी ही अमानवीय यातनाए लोकनायक जयप्रकाश तथा अन्य अनेको लोकतंत्र समर्थक राजनैतिक बंदियों को आपातकालीन अवधि में दी गई| उन्होंने स्व० श्री मोरारजी देसाई को बयालीसबां संविधान संशोधन (मूलाधिकार ख़त्म करने वाला) निरस्त करने का श्रेय देते हुए कहा कि अब कोई भी तानाशाह आपातकाल लगाने जैसी हरकत नहीं कर पायेगा| उत्तर प्रदेश बिधान परिषद के सदस्य पवन सिंह चौहान ने आपातकाल का विरोध जताते हुए कहा कि भारतीय जीवन में लोकतंत्र लोकजीवन का धर्म है| आपातकाल से सबक लेते हुए हम सभी को लोकतंत्र के सभी पक्षों को मजबूत करने का प्रण लेना होगा ताकि देश को दुबारा आपातकाल का दंश न झेलना पड़े| अपना सिंहासन को बचाने की नियत इंदिरा गाँधी ने देश में एमरजेंसी लगा दी और मनमाना शासन चलाने लगी, आपातकाल के दौरान कानून का राज़ ख़त्म हो गया और बर्तानिया सरकार से भी ज्यादा बर्बर यातनाए राजनैतिक बंदियों को दी गई| उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान किये गए जनान्दोलनों और संघर्षो का ही परिणाम है कि देश में लोकतांत्रिक सरकारे शासन कर रही है|

उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्त पी०एन० द्विवेदी ने कहा कि आपातकाल में लोकतंत्र रक्षकों को स्वमूत्र तक पिलाई गयी और उनका मनोबल गिराने के लिए उन्हें विभिन्न प्रकार की अमानवीय यातनाये दी गई, किसी के नाख़ून खीचें गये तो किसी के गुप्तांगो में मिर्च ठूसी गई किन्तु लोकतंत्र रक्षको ने उस बर्बर तानाशाह के सामने सर झुकाने से मना कर दिया जिसके परिणाम स्वरुप ना जाने कितने ही लोकतंत्र सेनानियों की कारागार के अंदर ही मृत्यु हो गई|

लोकतंत्र सेनानी समिति के प्रदेश महामंत्री रमाशंकर त्रिपाठी ने आपातकाल के उन 19 महीनों को याद करते हुए कहा कि जेल के अंदर प्रतीत नहीं होता था कि आपातकाल का न्रसंश राज कभी ख़त्म होगा और अब हम लोग कभी जेल की काल कोठरियों से बाहर निकल पायेगे| लोकतंत्र रक्षकों के संघर्ष को याद करते हुए उन्होंने कहा आपातकाल के दौरान हुए संघर्ष में समूचा देश जुड़ गया था, और वक्त साक्षी है कि अगर देश में कभी अलोकतांत्रिक शक्तियों ने सर उठाने की कोशिश की है तो इस देश का युवा इसी प्रकार उसका दमन करेगा|

इस मौके पर प्रमुख रूप से संतराम त्रिवेदी, शिव कुमार भारतीय, अजीत सिंह, सुभाष आनन्द , रामसनेही कनोजिया, चंद्रशेखर कटियार, माताप्रसाद तिवारी, मनोरमा मिश्रा, टीकम सिंह, चेतराम, राजकुमार चतुर्वेदी, मकबूल बेग, बीरेन्द्र कटियार, राम लखन मिश्रा, अरुण कटियार, हरीशचन्द्र पाण्डेय, शिवराम सिंह, मधु राठौर, कृष्ण मुरारी पाठक, सतीश कटियार, आशा दुबे, राजेन्द्र त्रिपाठी, राम सिंह बाथम, प्रेमा बाथम, शंकरलाल सक्सेना, श्रीराम यादव, समरादित्य सिंह, रामवृक्ष तिवारी, तारावती अहिरवार, देवता प्रसाद, रामेश्वर दयाल समेत प्रदेश के विभिन्न विभिन्न स्थानों से आये अनेको लोकतंत्र सेनानी मौजूद रहे|

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